लीडर’ समाज की खुशी के लिए समर्पित वहीं डीलर’ सत्ता की कुर्सी के लिए करते हैं डील

> मोदी ने मिर्जापुर लोकसभा से भाजपा - एन.डी.ए उम्मीदवार अपना दल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के समर्थन में रैली की



अनुप्रिया पटेल ने द्वीट कर लिखा की, "आदरणीय मोदी जी को माँ विन्ध्यवासिनी जी की तस्वीर भेंटकर मिर्जापुरवासियों की तरफ़ से अभिवादन किया। पूरे प्रदेश की जनता को मोदीजी के शक्तिशाली नेतृत्व पर विश्वास है, उनका उत्साह देखते ही बनता है। प्रदेश ही नहीं, सारा देश उन्हें पुनः प्रधानमंत्री के रूप में पाने हेतु लालायित है"



मिर्जापुर - जैसे-जैसे विरोधियों द्वारा गालियों की डोज बढ़ रही है, जनता मुझ पर अपने प्यार और विश्वास की डोज भी बढ़ाती चल रही है। मुझे वो महामिलावटी गाली दे रहे है जिन्होंने उत्तर प्रदेश को, मिर्जापुर को बारी-बारी से लूटा था। मुझे वो महामिलावटी गाली दे रहे है जिन्होंने मिर्जापुर को नक्सली हिंसा में ढकेल दिया था। मुझे वो महामिलावटी गाली दे रहे हैं जिन्होंने यूपी की खदानो को लूट कर अपनी तिजोरियां भर ली थी। कुछ दिन पहले बुआ के बबुआ यहां आए थे तो उन्होंने कहा था कि भाजपा वालों की बात शौचालय से शुरू होती है और वहीं खत्म होती है। ऐसी बात वही कर सकता है जिसके लिए माँ-बहन-बेटियों की गरिमा, सुरक्षा और स्वास्थ्य का जरा सा भी महत्व न हो। हमारे लिए शौचालय, माँ-बहन-बेटियों का इज्जत घर है। बुआ हो या बबुआ या फिर कांग्रेस के नामदार, यूपी की समझदार जनता को ये लोग सिर्फ जाति में बांटकर देखते हैं। उन्हें लगता है कि वोटर उनकी जागीर है। वो जब चाहेंगे अपनी जागीर एक दूसरे को दे देंगे। ये लोग अपनी कुर्सी की डील में वोटर को ही नहीं, अपने कार्यकर्ताओं को भी भूल जाते हैं। जब यहां विधानसभा के चुनाव हुए थे, तो कैसे एक दूसरे की धुर विरोधी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच डील हुई थी। इस डील के बाद दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को एक दूसरे के साथ चलने के लिए मजबूर कर दिया गया थाजमीन पर काम करने वाले सपा-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से जबरदस्ती कहा गया कि हाथ मिलाओ, क्योंकि एयरकंडीशंड कमरों में बैठकर दो लड़कों ने हाथ मिला लिया था। इसके दो साल के भीतर-भीतर ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, अपनी डील तोड़ने के बाद कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि अब हाथ नहीं, एक दूसरे की कॉलर पकड़ोसपा-बसपा और कांग्रेस के इन नेताओं ने अपने कार्यकर्ताओं को रिमोट कंट्रोल से चलने वाला खिलौना समझ लिया है। चाहे कार्यकर्ता अपमानित महसूस करे, चाहे उसका हौसला टूट जाए, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। एक होता है 'लीडर', जो समाज की खुशी के लिए समर्पित होता है, दूसरी तरफ होते हैं 'डीलर' जो सत्ता की अपनी कुर्सी के लिए डील करते हैं। सिर्फ अपने स्वार्थ की राजनीति करने वाले सपा-बसपा-कांग्रेस के डीलर उत्तर प्रदेश की समझदार जनता को गलत समझने की भूल कर रहे हैं। इस चुनाव में नामदारों की पार्टी का यूपी में क्या हाल हो गया है ये भी ध्यान रखिए। बांटने और तोड़ने की राजनीति करने वाली पार्टी, वोट कटवा बन गयी है। नामदारों के अहंकार ने ही इतने वर्षों के शासन के बावजूद, देश को इस हाल में बनाए रखा। उनकी सोच है हुआ तो हुआ।


 


 


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