इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल सुनिश्चित करना हमारा प्राथमिक एजेंडा: धर्मेन्द्र प्रधान
> लौह अयस्क (आयरन ओर) उत्पादन के 25 प्रतिशत को घरेलू बाजार में स्थानांतरित करने के लिए सेल को अनुमति।
> सेल आयरन ओर की कमी को आंशिक रूप से पूरी कर सकता है।
खान मंत्रालय ने सेल को अनुमति दे दी है कि वह पिछले वर्ष में लौह अयस्क (आयरन ओर) के कुल उत्पादन के अधिकतम 25 प्रतिशत हिस्से को एक साल में ऑफलोड कर सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जिन राज्यों में खानस्थत है, उन राज्य सरकारों की पूर्वानुमति ली जाए और पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाए। यह अनुमति दो वर्षों की अवधि के लिए मान्य होगी। इसके तहत झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के विभिन्न खानों में उत्पादित लगभग सात मिलियन टन लौह अयस्क(आयरन ओर) को सेल राज्य सरकारों की रजामंदी से घरेलू बाजार में खपा सकता है। इस कदम से सेल अपनी आवश्यकता पूरी करने के अलावा घरेलू बाजार में लौह अयस्क (आयरन ओर) की कमी को आंशिक रूप से पूरी कर सकता है। उल्लेखनीय है कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान के प्रयासों के तहत खान मंत्रालय ने यह आदेश जारी किया है। खान मंत्रालय द्वारा अलग से एक आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत सेल को अब यह अनुमति प्राप्त हो गई है कि वह हल्के किस्म के 70 मिलियन टन वाले पुराने भंडार का निपटारा कर सकेयह लौह अयस्क (आयरन ओर) सेल की विभिन्न कैटिव खानों में पड़ा हैइसके लिए झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकारों से अनुमति लेनी आवश्यक है। इस कदम से पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उल्लेखनीय है कि खान एवं खनिज (विकास और नियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 8ए (6) के प्रावधानों के अनुसार लौह अयस्क की 31 चालू खानों का पट्टा 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो रहा है। पट्टा समाप्त हो जाने के बाद बाजार में 60 मिलियन टन लौह अयस्क (आयरन ओर) की कमी संभावित है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल सुनिश्चित करना हमारा प्राथमिक एजेंडा है। हमारी सरकार ने इस दिशा में कई प्रयास किये हैं और खान मंत्रालय द्वारा पारित किया गया आदेश इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।