कक्षाओं में बच्चों की मजबूतियों और कमजोरियों को समझें शिक्षक: उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली - उपराष्ट्रपति ने शिक्षकों को राष्ट्रीय विकास का निर्माता बताते हुए शिक्षकों को सलाह दी कि वे बच्चों में लोकतंत्र, समानता, स्वतंत्रता, न्याय, धर्मनिरपेक्षता, दूसरों की भलाई की चिंता, मानव सम्मान और मानव अधिकारों के मूल्यों को बतायें। श्री नायडू गुरुवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली तमिल एजुकेशन एसोसिएशन के विद्यालयों के शिक्षकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदर्श शिक्षक के रूप में व्यवहार ही भारत के प्रथम उप राषटपति डॉ. सर्वपलली राधाकृषणन को सही श्रद्धांजलि होगी। उपराषटपति ने शिक्षकों से कहा कि वे वर्तमान शिक्षा प्रणाली को ऊंचे स्तर पर ले जाकर कक्षाओं को अध्ययन केन्द्र के रूप में बदलने के लिए स्वयं को फिर से समर्पित करें। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे कक्षाओं में बच्चों से बातचीत करते समय उनका मनोभाव, उनकी मजबूतियों और कमजोरियों को समझें बच्चों को देश की समृद्ध विरासत, पराम्पराओं और गौरवशाली इतिहास के प्रति जागरूक बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री नायडू ने कहा कि पाठयपुस्तकों में स्वतंत्रता सेनानियों, जाने-माने वैज्ञानिकों और कलाकारों के बारे में अध्याय में शामिल करना चाहिए ताकि बच्चे प्रेरित होंउपराष्ट्रपति ने पाठ्यक्रमों में सतत विकास, प्रकृति के साथ सहवास को शामिल किया जाना चाहिए और बच्चों को स्वच्छ भारत तथा अन्य जनांदोलनों के प्रति जागरूक बनाया जाना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि शिक्षा के साथसाथ शारीरिक शिक्षा को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चों को खेलकूद और योग के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे तंदुरूस्त और स्वस्थ रहें। उपराष्ट्रपति ने मातृ भाषा के महत्व की चर्चा करते हुए शिक्षकों और अभिभावकों से आग्रह करते हुए कहा कि बच्चों को घरों में मातृभाषा में बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्कूल स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने बच्चों से कहा कि वे जहां तक संभव हो अनेक भाषाएं सीखें। उन्होंने कहा कि नई भाषा सीखने में संकोच नहीं होना चाहिए, लेकिन उपराष्ट्रपति ने कहा कि न तो कोई भाषा थोपी जानी चाहिए और न ही किसी भाषा का विरोध होना चाहिए। श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि देश को योग्य, विश्वास और संकल्पबद्ध शिक्षकों की आवश्यकता है ताकि शिक्षा में अंतर लाया जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के पास अपने ज्ञान, मनोवृत्ति और व्यवहार के माध्यम से जीवंत राष्ट्र की आधारशिला रखने का विशिष्ट अवसर है। उपराष्ट्रपति ने नई शिक्षा नीति पर शिक्षकों और विद्वानों से नवाचारी सुझाव देने को कहा। उन्होंने कहा कि शिक्षक और विद्वान ऐसी नीति बनाने में योगदान दें जो हमारे देश को 21वीं सदी में ले जायें। समारोह में दिल्ली तमिल एजुकेशन एसोसिएशन के विद्यालयों के सौ से अधिक शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे।