करियर में रणजी ट्राफी न उठा पाने का हमेशा रहा अफ़सोस : सेहवाग
नयी दिल्ली - पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का कहना है कि भारतीय टीम में खेलने वाले खिलाड़ियों को जब भी मौका मिले उन्हें राष्ट्रीय चैंपियनशिप रणजी ट्राफी में खेलना चाहिए। सहवाग ने गुरुवार शाम डीडीसीए के समारोह में भारतीय कप्तान विराट कोहली और अन्य टीम सदस्यों की उपस्थिति में इस बात पर जोर दिया कि भारतीय खिलाड़ियों को रणजी ट्राफी में खेलना चाहिए। पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज सहवाग ने कहा, "मेरे करियर में मेरी बड़ी इच्छा थी कि मैं रणजी ट्राफी को अपने हाथों में उठाऊं। लेकिन मेरी यह इच्छा पूरी नहीं हो पायी।” उन्होंने कहा, “2007 में मैं रणजी ट्राफी के सेमीफाइनल तक पहुंचा था लेकिन फिर फाइनल नहीं खेल पाया था। दिल्ली ने तब रणजी ट्राफी का खिताब जीता था। शिखर धवन, प्रदीप सांगवान उस समय खेले थे और उन्होंने ट्राफी उठायी थीमुझे इस बात का हमेशा अफसोस रहा कि मैं अपने हाथों रणजी ट्राफी नहीं उठा पाया।” सहवाग ने दिल्ली के खिलाड़ी और भारतीय कप्तान विराट, शिखर धवन, नवदीप सैनी से कहा कि उन्हें जब भी मौका मिले रणजी ट्राफी में खेलना चाहिए। हर खिलाड़ी के लिए प्रथम श्रेणी में खेलना बहुत जरुरी होता है। उन्होंने कहा, “हमारे पास दिल्ली टीम में बड़े खिलाड़ी हैं। लेकिन वे कभी साथ नहीं खेल पाते जिसके कारण दिल्ली लगातार रणजी खिताब नहीं जीत पाती है। दिल्ली ने आखिरी बार 2007 में खिताब जीता था और तब गौतम गंभीर कप्तान थे और उन्होंने ट्राफी उठायी थी। मेरा मानना है कि जो भारत के लिए खेलते हैं उन्हें भी रणजी ट्राफी खेलना चाहिए।” भारतीय कप्तान विराट ने भी सहवाग की बात का समर्थन करते हुए कहा कि खिलाड़ियों को जब भी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला उन्हें अपने राज्य की टीमों की तरफ से खेलने के लिए उतरना चाहिए। उन्होंने कहा, “वीरु पाजी ने एक सही बात उठायी है और मैं भी उनका समर्थन करता हूं कि हमें प्रथम श्रेणी में खेलना चाहिए।"