उपराष्ट्रपति ने नेल्लोर सी फ्रंट अनुसंधान केन्द्र परियोजना कार्य में तेजी लाने के दिए निर्देश
> पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधिकारियों ने उपराष्ट्रपति को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर मेंस्थत राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी सं थान में सी फ्रंट अनुसंधान सुविधाओं के बारे में ताजा थति की जानकारी दी।
> उपराष्ट्रपति ने कानूनी बाधाओं को जल्द दूर करने को कहा।
नेल्लोर - उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में थुपीलीपल्लम गांव में राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी सं थान में नया अनुसंधान केन्द्र खोले जाने की प्रक्रिया तेज करने को कहा है। उपराष्ट्रपति को आंध्र प्रदेश में विकास परियोजनाओं के बारे में जानकारी हासिल करने के दौरान यह पता लगा कि इस सं थान में नया अनुसंधान केन्द्र खोले जाने की प्रक्रिया कानूनी बाधाओं के कारण काफी धीमी गति से चल रही है। उन्होंने तुरंत इस बारे में केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन से बात की, जिसके बाद पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम राजीवन और मंत्रालय के सलाहकार डॉ एम पी वाकडिकर बुधवार को उपराष्ट्रपति से मिले और उन्हें अनुसंधान केन्द्र परियोजना की ताजा िथति से अवगत करायाअधिकारियों ने उपराष्ट्रपति को बताया कि प्रस्तावित अनुसंधान केन्द्र के लिए 97.37 एकड़ भूमि अधिकृत की जा चुकी है, लेकिन इस भूमि के एक हिस्सों को लेकर कानूनी विवाद हो जाने की वजह से परियोजना प्रक्रिया धीमी पड़ गई है। उपराष्ट्रपति ने इस बारे में नेल्लोर जिले के जिलाधिकारी से बात की और उनसे कानूनी विवाद जल्द सुलझाने को कहा। उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से भी इस दिशा में तेजी से काम करने को कहा। राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी सं थान में 250 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाने वाले आधुनिक सुविधाओं से लैस सी फ्रंट अनुसंधान केन्द्र की आधारशिला केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा 25 अप्रैल, 2016 को तत्कालीन शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू और राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की मौजूदगी में रखी गई थीप्रस्तावित सुविधा केन्द्र में समुद्री तकनीकी गतिविधियों के वास्तविक समय प्रोटोटाइप परीक्षण, अंशांकन और स्वदेशी रूप से विकसित समुद्री प्रणालियों का सत्यापन, जिसमें समुद्र के किनारे प्रयोगशाला और परीक्षण सुविधाओं कीर थापना आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराना शामिल है। इस अनुसंधान केन्द्र के विकास के लिए एक दीर्घकालीन मास्टर प्लान तैयार किया गया है।