रेन वाटर हार्वेस्टिंग के उपयुक्त और कम लागत के मॉडल बनाये जाने के सम्बन्ध में दें सुझाव : जल शक्ति मंत्री
> जल शक्ति मंत्री द्वारा जल संचयन, संवर्धन एवं संरक्षण के सम्बन्ध में वेबिनार के माध्यम से भूजल चेतना हेतु किया गया जन संवाद।
> जनता भूजल की करे सुरक्षा, योगी सरकार की यही परम इच्छा : डॉ महेन्द्र सिंह
> स्कूल-कालेजों के भवनों पर अनिवार्य रुप से रुफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना पंचायत निधि से कराये जाने के लिये ग्राम प्रधानों से जल शक्ति मंत्री ने की अपील।
> अटल भूजल परियोजना में ग्राम पंचायत स्तर पर भूजल संचयन के विविध कार्य किये जायेंगे।
> बुन्देलखण्ड क्षेत्र में इस वर्ष लगभग 15,000 तालाब प्रस्तावित हैं।
लखनऊ (सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग)। भूजल सप्ताह (16 जुलाई से 22 जुलाई) के अन्तर्गत शनिवार 18 जुलाई 2020 को डॉ महेन्द्र सिंह, जल शक्ति मंत्री द्वारा जल संचयन, संवर्धन एवं संरक्षण के सम्बन्ध में ग्राम प्रधानों, जन-प्रतिनिधियों, कृषकों, गैर सरकारी संगठनों, जल संचयन के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों एवं सरकारी विभाग के अधिकारियों से वेबिनार के माध्यम से भूजल चेतना हेतु जन संवाद किया। डॉ महेन्द्र सिंह ने कहा कि जनता भूजल की करे सुरक्षा, योगी सरकार की यही परम इच्छा। उन्होंने कहा कि भूजल संरक्षण को सफल बनाने में जन प्रतिनिधियों व सामाजिक संस्थाओं की अहम भूमिका है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पंचायत स्तर पर तथा स्कूल-कालेजों के भवनों पर अनिवार्य रुप से रुफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना पंचायत निधि से कराये जाने के लिये संवाद मे जुड़े ग्राम प्रधानों के अपील की, जिससे कि रिचार्जिंग के द्वारा अधिकतम् वर्षा जल को संचित किया जा सके। साथ ही उनके द्वारा यह भी बताया गया कि प्रदेश में लगभग 8 से 9 लाख विभिन्न स्तर के विद्यालय है, इन विद्यालयों पर भी रुफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना करते हुए वृहद स्तर पर भूजल संचयन किया जा सकता है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भूजल संकट में सुधार के विषय में जलशक्ति मंत्री ने बताया कि भारत सरकार के सहयोग से अटल भूजल योजना के रूप में एक महत्वाकांक्षी परियोजना लागू की जा रही है। इस परियोजना में ग्राम पंचायत स्तर पर भूजल संचयन के विविध कार्य किये जायेंगे, जिससे इन क्षेत्रों को भूजल संकट से निजात मिलेगा। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि आम जनता भूजल के महत्व को समझे और स्वयं आगे आकर भूजल संचयन एवं इसके संरक्षण में अपना भरपूर योगदान दे। हमें इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये जितना पानी हम धरती से निकाल रहें है उतना रिचार्ज किये जाने की भी आवश्यकता है। उनके द्वारा बताया गया कि मा मुख्यमंत्री जी की प्रेरणा से मनरेगा के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड क्षेत्र में गत वर्ष लगभग 20,000 तालाब बनाये गये तथा इस वर्ष लगभग 15,000 तालाब प्रस्तावित है। साथ ही लगभग ढाई करोड़ वृक्षारोपण किया जा रहा है। हमें भूगर्भ का जलस्तर बढ़ाने के लिये सभी क्षेत्रों में मिलकर प्रयास करना होगा। इस अवसर पर मंत्री जी द्वारा विभिन्न विषय विशेषज्ञों, गैर सरकारी संगठनों से भी संवाद किया गया। संवाद के दौरान डॉ वेंकटेश दत्ता, एसोशिएट प्रोफेसर, डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय द्वारा बताया गया कि समस्याग्रस्त विकास खण्डों के जल स्तर को ऊपर लाने के लिये हमें स्ट्रेस्ड एक्वीफायर को चरणबद्ध तरीके से रिचार्ज करना होगा एवं कतिपय देशों के मॉडल के आधार पर एरिया को चिन्हित करके वाटर सैंक्चुरी बनाई जाए। श्री संजय सिंह, परमार्थ समाज सेवी संस्थान द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा चन्देलकालीन तालाबों की जल संचयन एवं संरक्षण क्षमता वृद्धि हेतु कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये कि तालाबों के कैचमेंट को कैसे बढ़ाया जाए। साथ ही जल संचयन एवं संरक्षण हेतु बोरवेल रिचार्ज अथवा कुए रिचार्ज अथवा ट्रेच मॉडल तथा वाटर यूज इफिशन्सी पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। उमाशंकर पाण्डेय, जल ग्राम जखनी ने संवाद के दौरान बताया कि जल ग्राम जखनी में उन्होंने अपने मूलमंत्र खेत में मेंड एवं मेड़ पर पेड़ के सिद्धान्त पर कार्य करते हुए आस-पास 56 ग्रामों को पानीदार बनाया गया है। इसी क्रम में रमन कान्त त्यागी, नीर फाउण्डेशन ने बताया कि लघु सिंचाई द्वारा बनाये जा रहे तालाबों को नीरी मॉडल के अनुसार कन्सट्रैक्टिव वेडलैण्ड के आधार पर निर्माण कराये जाने पर विचार किया जा सकता है, जिससे तालाबों से होने वाले रिचार्ज में भूगर्भ जल को दूषित होने से बचाया जा सके। संवाद में भारतीय विष–विज्ञान अनुसंधान के निदेशक डॉ आलोक धवन भी सम्मिलित हुए। उन्होंने बताया कि भूगर्भ जल विभाग के साथ बेसिनवार भूजल गुणवत्ता की जांच की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान भूजल गुणवत्ता के क्षेत्र में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करने को तैयार है। संवाद के अन्त में डॉ महेन्द्र सिंह, जल शक्ति मंत्री द्वारा गैर सरकारी संगठनों एवं जल संचयन के क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों से यह भी कहा गया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के उपयुक्त और कम लागत के मॉडल बनाये जाने के सम्बन्ध में भी सुझाव दें। उनके द्वारा जल है तो जीवन है को मुख्य उद्देश्य मानते हुए हम सभी को जल संचयन, संवर्धन एवं संरक्षण के क्षेत्र में मिलकर कार्य करते हुए उत्तर प्रदेश को देश का प्रथम जल समृद्ध राज्य बनाये जाने का संकल्प लेना चाहिये।