किसानों को केवल अनाज मण्डी में ही नहीं बल्कि फल एवं सब्जी मण्डियों में भी भण्डार गृह की सुविधा देनी चाहिए : योगी आदित्यनाथ
> मुख्यमंत्री ने राज्य भण्डारण निगम द्वारा 37 मण्डियों में निर्मित किये जाने वाले 05-05 हजार मीट्रिक टन भण्डारण क्षमता के नये भण्डार गृहों का ई-शिलान्यास किया।
> वर्तमान सरकार किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना देने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है : मुख्यमंत्री
> वर्ष 2018 में मण्डी समिति के साथ उ प्र राज्य भण्डारण निगम में जो एमओयू हस्ताक्षरित किया गया था, इस क्रम में यह शिलान्यास कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।
> सरकार द्वारा दिये गये न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसान के जीवन में व्यापक बदलाव आता है : मुख्यमंत्री
37 भण्डार गृहों के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य भण्डारण निगम को नाबार्ड की डब्ल्यूआईएफ योजना के अन्तर्गत 146.86 करोड़ रुपये के ऋण प्राप्त किये जाने की शासकीय गारण्टी प्रदान की गयी है। कानपुर नगर में भी 1 भण्डार गृह निर्मित किया जाएगा।
मा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 अगस्त 2020 को अपने सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग लखनऊ में सहकारिता विभाग के अंतर्गत राज्य भंडारण निगम द्वारा प्रदेश की 37 मंडियों के नए भण्डार ग्रहों का ई शिलान्यास करते हुए। (फोटो : मुख्यमंत्री सूचना परिसर)
लखनऊ (सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सहकारिता विभाग के अन्तर्गत राज्य भण्डारण निगम द्वारा प्रदेश की 37 मण्डियों में निर्मित किये जाने वाले 05-05 हजार मीट्रिक टन भण्डारण क्षमता के नये भण्डार गृहों का ई-शिलान्यास किया। इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना काल खण्ड में भी प्रदेश सरकार अन्नदाता किसानों के हित में नई - नई योजनाओं को लेकर आगे बढ़ रही है। सहकारिता विभाग द्वारा निर्मित कराये जा रहे 37 गोदामों के शिलान्यास का कार्यक्रम इस संकल्प का एक जीता-जागता उदाहरण है। कोरोना काल खण्ड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने लॉकडाउन के दौरान विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज के अन्तर्गत एक लाख करोड़ रुपये कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में दिये गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए संकल्पित है। वर्तमान सरकार किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना देने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इसके परिणामस्वरूप परम्परागत खेती से विमुख होने वाले किसान पुनः खेती में सम्भावनाएं देखने लगे हैं। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर में अन्नदाता किसानों के लिए भण्डार गृहों के महत्व को अच्छे ढंग से समझा जा सकता है। नये भण्डार गृहों की स्थापना हो जाने पर किसानों की आमदनी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में न केवल उत्तर प्रदेश राज्य भण्डारण निगम के साथ मिलकर, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर मण्डी परिषद को भी स्वयं कोल्ड स्टोरेज, सैलोस सहित अत्याधुनिक भण्डारण क्षमता को अर्जित करना चाहिए। किसानों को केवल अनाज मण्डी में ही नहीं बल्कि फल एवं सब्जी मण्डियों में भी ऐसी सुविधा देनी चाहिए, जिससे किसान अपने उत्पाद को कुछ दिनों तक सुरक्षित रख सकें। नयी प्रतिस्पर्धा में सरकार ने निजी क्षेत्र को भी मण्डी क्षेत्र में आमंत्रित किया है। नयी प्रतिस्पर्धा के लिए न केवल सहकारिता बल्कि मण्डी समितियों को भी आगे आना होगा। जो जितनी अच्छी सुविधा किसानों को दे पाएगा और जितनी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ा पाएगा वही इस कम्प्टीशन में बना रह पाएगा। उस प्रतिस्पर्धा के योग्य अपने आपको तैयार करने के लिए आज एक नयी शुरुआत हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में मण्डी समिति के साथ उ प्र राज्य भण्डारण निगम में जो एमओयू हस्ताक्षरित किया गया था, इस क्रम में आज यह शिलान्यास कार्यक्रम सम्पन्न हो रहा है। देश और दुनिया में जहां भी किसानों के हितों में कार्य हो रहे हैं, उनका अध्ययन किया जाना चाहिए, क्योंकि अन्नदाता ही किसी भी देश की रीढ़ होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्च, 2017 में जब वर्तमान सरकार गठित हुई थी, उस समय सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि किसानों से गेहूं खरीदेंगे तो उसे कहां रखेंगे, क्योंकि हमारे पास स्टोरेज क्षमता नहीं थी। 01 अप्रैल, 2017 से गेहूं क्रय की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी। किसानों से 37 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया और यह भी तय किया गया कि किसानों को एमएसपी का भुगतान 48 घण्टे के अन्दर डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में कर दिया जाए। हर वर्ष किसानों की उपज को खरीदने का कार्य आज लगभग 53 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचा। यह तथ्य इस बात को सिद्ध करते हैं कि सरकार द्वारा दिये गये न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसान के जीवन में व्यापक बदलाव आता है। इसके माध्यम से मार्केट को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, कालाबाजारी पर रोक भी लगती है और अन्नदाता किसान का शोषण रुकता है। सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखकर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में लॉकडाउन के दौरान भी किसानों को अपने कार्य सम्पादन में किसी प्रकार की समस्या नहीं आयी। कोरोना काल में कृषि ही ऐसा क्षेत्र था, जिसने पूरी सक्रियता के साथ कार्य किया। ज्ञातव्य है कि 37 भण्डार गृहों का निर्माण प्रदेश के 27 जनपदों में किया जाएगा। जनपद झांसी में 04, बलिया में 02, बहराइच में 02, फतेहपुर में 02, जालौन में 02, कानपुर देहात में 02, रामपुर में 02, बदायूं में 02, बस्ती में 02 तथा गाजीपुर, कानपुर नगर, अमरोहा, बिजनौर, बरेली, पीलीभीत, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, महोबा, बांदा, हमीरपुर, मिर्जापुर, भदोही, फर्रुखाबाद, औरैया, रायबरेली व कौशाम्बी में 01 - 01 भण्डार गृह निर्मित किये जाएंगे। विभिन्न जनपदों की मण्डी समितियों पर निर्माण इकाई द्वारा कराये जाने वाले कार्यों की लागत 187.32 करोड़ रुपये अनुमानित है। 37 भण्डार गृहों के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य भण्डारण निगम को नाबार्ड की डब्ल्यूआईएफ योजना के अन्तर्गत 146.86 करोड़ रुपये के ऋण प्राप्त किये जाने की शासकीय गारण्टी प्रदान की गयी है। इस अवसर पर मुख्य सचिव आर के तिवारी, कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एस पी गोयल, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव सहकारिता भुवनेश कुमार, सूचना निदेशक शिशिर, प्रबन्ध निदेशक उ प्र राज्य भण्डारण निगम श्रीकान्त गोस्वामी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।