प्रदेश के 18 जनपदों के 672 गांव बाढ़ से प्रभावित : अनिल राजभर

> विषैले सर्प कीटों के प्रकोप के दृष्टिगत बाढ़ राहत शरणालयों के आस-पास की झाड़ी की सफाई की जाए और रात्रि में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाए। 


> जनपद बहराइच में 110 कि0मी0 तटबन्ध की निरंतर निगरानी की जाए तथा किसी प्रकार की सीपेज या अन्य प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न होने पर तुरंत मरम्मत की जाए।


> जनपद लखीमपुर खीरी में नावों का सत्यापन कर लिया जाए। 


> जनपद बलरामपुर के बलरामपुर – भडरिया तटबधं में राप्ती नदी के दायें तट पर स्थित ग्राम चन्दापुर के पास कटान स्थल पर बम्बूक्रेट, नायलान क्रेट में मिट्टी भरी बोरियों को रख कर कटान को नियंत्रण करने के कार्य कराये जा रहे हैं।


> अब तक राहत सामग्री के अन्तर्गत 32,567 खाद्यान्न किट का वितरण किया जा चुका है।


बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में -


> विद्युत करन्ट के द्वारा कोई जनहानि, पशुहानि, मकान क्षति न होने पाए।


> पशुओं का टीकाकरण एवं चारा / भूसा की व्यवस्था एवं उनके देखरेख की समुचित व्यवस्था कर ली जाए।


> आवश्यकता अनुसार एनडीआरएफ एवं पीएसी तथा युवा सहायता दल की भी व्यवस्था कर ली जाए।


> समस्त ग्रामों में स्वास्थ शिविर का आयोजन किया जाए।


> एनटीवेनम वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।



उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री अनिल राजभर 08 अगस्त 2020 को लोक भवन में बाढ़ राहत कार्यों का स्थलीय निरीक्षण के सम्बन्ध में प्रेस वार्ता करते हुए।  (फोटो : धर्मवीर खरे)


लखनऊ (सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग)। उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री अनिल राजभर ने शनिवार 8 अगस्त 2020 को लोकभवन में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार आज जनपद बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर एवं बाराबंकी में राज्यमंत्री जलशक्ति बलदेव औलख व अपर मुख्य सचिव, सिंचाई के साथ बाढ़ राहत कार्य, स्वास्थ्य, बचाव दल की उपलब्धता तथा बाढ़ के संबंध में समस्त तैयारियों के बारे में जिलाधिकारी तथा जनपद के अन्य अधिकारियों के साथ गहन समीक्षा की गई तथा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण भी किया। श्री राजभर ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा बाढ़ राहत कार्यों हेतु निर्देश दिये गये हैं कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में विषैले सर्प कीटों का प्रकोप काफी संख्या में रहता है जिनके काटने से काफी जनहानि व पशुहानि होती है। बाढ़ राहत शरणालयों के आस-पास की झाड़ी की सफाई की जाय और रात्रि में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाय। जल बहाव के कटान से प्रभावित भूमि के समीप स्थित स्कूल व पंचायत भवनों में बाढ़ प्रभावित व्यक्तियों हेतु शरणालय न बनाया जाय और ऐसे स्कूल व भवनों में कक्षाओं का संचालन न किया जाय। जलभराव वाले क्षेत्रों से गुजरने वाले विद्युत तारों खम्भों को दुरूस्त रखा जाय और यह सुनिश्चित किया जाय कि विद्युत करन्ट के द्वारा कोई जनहानि, पशुहानि, मकान क्षति न होने पाए। श्री राजभर ने बताया कि जनपद बाराबंकी में तटबंध में 24X7 घंटे बांधों का निरीक्षण करने के निर्देश दिये गये। किसी भी क्षतिग्रस्त बंधे को तत्काल ठीक करा लिया जाए तथा बाढ़ चौकियों एवं कंट्रोल रूम को हाई अलर्ट पर रखा जाए। क्षतिग्रस्त नावों का प्रयोग ना किया जाए तथा राहत सामग्री का वितरण उपयुक्त लाभार्थियों को प्रदान किया जाए। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के संबंधित जनप्रतिनिधियों से समन्वय बैठाते हुए उन्हें लगातार प्रभावित गांवों एवं तटबंध की यथा स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पशुओं का टीकाकरण एवं चारा / भूसा की व्यवस्था एवं उनके देखरेख की समुचित व्यवस्था कर ली जाय। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे बच्चे बुजुर्ग एवं महिलाओं का विशेष ध्यान रखते हुए उन लोगों की दवा एवं वैक्सीन का उचित व्यवस्था कर ली जाए तथा सर्पदंश एवं जल जनित बीमारियों / संक्रमण की रोकथाम हेतु उचित व्यवस्था कर ली जाए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यकता अनुसार एनडीआरएफ एवं पीएसी तथा युवा सहायता दल की भी व्यवस्था कर ली जाए। जनपद बहराइच में बाढ़ सुरक्षा संबंधी समस्त व्यवस्थाएं पूर्ववत् संचालित रखने के साथ-साथ तथा बाढ़ राहत संबंधी समस्त व्यवस्था एनडीआरएफ सहित समस्त टीमों को सक्रिय रखा जाए। बाढ़ प्रभावी समस्त ग्रामों में स्वास्थ शिविर का आयोजन किया जाए तथा उपचारित व्यक्तियों व दी गई दवाइयों का विवरण एकत्रित कर सुरक्षित रखा जाए। अवशेष पशुओं का टीकाकरण पूर्ण किया जाए। जनपद के 110 कि0मी0 तटबन्ध की निरंतर निगरानी की जाए तथा किसी प्रकार की सीपेज या अन्य प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न होने पर तुरंत मरम्मत की जाए। जनपद मुख्यालय पर स्थित बाढ़ कंट्रोल रूम 24X7 संचालित रखा जाय। अपर जिलाधिकारी प्रतिदिन कम से कम 10 कालर से बात कर की गई कार्यवाही की जानकारी प्राप्त करें। राहत वितरण में जन प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। श्री राजभर ने बताया कि जनपद लखीमपुर खीरी में कटान / संवेदनशील स्थल चिन्हित करना एवं 24X7 घंटे पेट्रोलिंग करना व निगरानी रखने के निर्देश दिये गये हैं। बाढ़ का पानी कम होने पर फसलों के नुकसान का आंकलन करना एवं प्रभावित किसानों के मध्य राहत धनराशि का वितरण किया जाए। नावों का सत्यापन कर लिया जाए और छतिग्रस्त नावों का उपयोग न किया जाए क्षमता से अधिक लोग न बैठें। बाढ़ / कटान से कैसे बचा जाए और उसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए, उसके अगले 45 दिन की कार्ययोजना बनाकर कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं। सर्प दंश से संबंधित पिछले वर्षों के आंकड़ों की समीक्षा करना एवं एनटीवेनम वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा बाढ़ प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य पर निगरानी रखने के निर्देश। पशुओं का शत-प्रतिशत टीकाकरण का लिया जाए। जनपद में राहत वितरण का कार्य गुणवत्तापूर्वक किया जा रहा है, इसे आगे भी रखा जाय। कंट्रोल रूम 24X7 घंटे संचालित रहे एवं बाढ़ प्रभावित लोगों से बातचीत कर उनकी समस्या का समाधान किया जाए। उन्होंने बताया कि जनपद सीतापुर में संवेदनशील तटबंध पर 24x7 गश्त की जाय। नाव पर कितने लोग सवार होने चाहिए, इसके लिए एक स्पष्ट कटौती संदेश बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए। बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में मेडिकल टीमें सक्रिय होनी चाहिए और कोविड-19 प्रोटोकॉल सुनिश्चित किये जाएं। राशन किट की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए। मैरून गांव के लिए जनरेटर की व्यवस्था की जाय। बाढ़ के खतरे वाले गांवों में विद्युत पोल और केबल के लिए विशेष सुरक्षा उपाय किये जाएं। श्री राजभर ने बताया कि जनपद गोण्डा में प्राप्त सूचना के अनुसार अपरान्ह 3:00 बजे सकरौर भिखारीपुर तटबंध कि0मी0 17.590 से कि0मी0 17.780 के मध्य 60 मी0 की लम्बाई में कट गया। उक्त स्थल पर नदी के जलस्तर में कमी आ गयी है। दिनांक 07.08.2020 की सूचना के अनुसार रिंग बांध बनाने का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि जनपद बलरामपुर के बलरामपुर – भडरिया तटबधं में राप्ती नदी के दायें तट पर स्थित ग्राम चन्दापुर के पास कटान स्थल पर बम्बूक्रेट, नायलान क्रेट में मिट्टी भरी बोरियों को रख कर कटान को नियंत्रण करने के कार्य कराये जा रहे हैं। दिनांक 07.08.2020 की सूचना के अनुसार न्यूनतम आवश्यक कार्य कराये गये है, स्थिति नियंत्रण में है तथा तटबधं सुरक्षित है। श्री राजभर ने बाढ़ की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि प्रदेश के वर्तमान में सभी तटबंध सुरक्षित हैं। प्रदेश में बाढ़ के संबंध में निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है। कहीं भी किसी प्रकार की चिंताजनक परिस्थिति नहीं है। प्रदेश के प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू हेतु एनडीआरएफ की 15 टीमें तथा एसडीआरएफ व पीएसी की 07 टीमें इस प्रकार कुल 22 टीमें तैनाती की गयी हैं। 780 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी हैं। बाढ़ / अतिवृष्टि की आपदा से निपटने हेतु बचाव व राहत प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये जा चुके हैं। श्री राजभर ने बताया कि बाढ़ पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न किट का वितरण कराया जा रहा है। इस किट में 17 प्रकार की सामग्री जिसमें 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 10 किलो आलू, 05 किलो लाई, 02 किलो भुना चना, 02 किलो अरहर की दाल, 500 ग्रा0 नमक, 250 ग्रा0 हल्दी, 250 ग्रा0 मिर्च, 250 ग्रा0 धनिया, 05 ली0 केरोसिन, 01 पैकेट मोमबत्ती, 01 पैकेट माचिस, 10 पैकेट बिस्कुट, 01 ली0 रिफाइन्ड तेल, 100 टेबलेट क्लोरीन एवं 02 नहाने के साबुन वितरित किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि अब तक राहत सामग्री के अन्तर्गत 32,567 खाद्यान्न किट व 1,59,334 मी0 तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 253 मेडिकल टीम लगायी गयी है। श्री राजभर ने बताया कि बाढ़ की आपदा से निपटने के लिए प्रदेश में 236 बाढ़ शरणालय, और 04 जनपदों में 44 शरणालयों में 4,087 व्यक्ति रह रहे हैं तथा 715 बाढ़ चौकी स्थापित की गयी हैं। वर्तमान में प्रदेश के 18 जनपद (अम्बेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुरखीरी, मऊ, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, देवरिया, संतकबीरनगर तथा सीतापुर) के 672 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। शारदा नदी, पलिया कला लखीमपुरखीरी, सरयू नदी, तुर्तीपार बलिया राप्ती नदी बर्डघाट गोरखपुर, सरयू (घाघरा) नदी-एल्गिनब्रिज बाराबंकी और अयोध्या में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। प्रदेश में 175 पशु शिविर स्थापित किये गये हैं तथा 6,08,902 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 1162 कुंतल भूसा वितरित किया गया है। आपदा से निपटने के लिए जनपद एवं राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी हैउन्होंने कहा कि किसी को भी बाढ़ या अन्य आपदा के संबंध में कोई भी समस्या होती है तो वह जनपदीय आपदा नियंत्रण केन्द्र या राज्य स्तरीय कंट्रोल हेल्प लाइन नं0-1070 पर फोन कर सम्पर्क कर सकता है।


Popular posts from this blog

उ0प्र0 सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए मानदण्ड) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन को मंजूरी

उ प्र सहकारी संग्रह निधि और अमीन तथा अन्य कर्मचारी सेवा (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2020 प्रख्यापित

कोतवाली में मादा बंदर ने जन्मा बच्चा