आज देश में मल्टी मोडल कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है : मोदी
प्रधानमंत्री ने घर तक फाइबर प्रोजेक्ट का शुभारंभ और 9 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखी
> गांव को अब शहरों की ही तरह हर सुविधा घर बैठे मिले, इसके लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है : प्रधानमंत्री
> आज भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वाले दुनिया के सबसे अग्रणी देशों की कतार में है : प्रधानमंत्री
> इंटरनेट कनेक्टिविटी हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ देश आगे बढ़ रहा है : प्रधानमंत्री
डिजिटल इंडिया को नई मजबूती देता डिजिटल बिहार ...
> भारत नेट ऑप्टिकल फाइबर से हर गांव को जोड़ा जाएगा।
> मार्च 2021 तक बिहार के सभी 45,945 गांवों को इंटरनेट सुविधा मिलेगी।
> सरकार के प्रयासों की वजह से देश की करीब डेढ़ लाख पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहले ही पहुंच चुका है।
> बीते 6 साल में देशभर में 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर भी ऑनलाइन जोड़े गए हैं।
बेहतर रोड कनेक्टिविटी हेतु ..
> पूर्वी और पश्चिमी बिहार को जोड़ने के लिए फोर लेनिंग के 5 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है।
> 2015 में घोषित पीएम पैकेज के तहत 3 हज़ार किलोमीटर से अधिक के नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट्स की घोषणा की गई थी, भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भी लगभग 650 किलोमीटर नेशनल हाइवे का निर्माण किया जा रहा है।
आज भारत, अपने गांवों को आत्मनिर्भर भारत का मुख्य आधार बनाने के लिए भी एक बड़ा कदम उठा रहा है ....
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि घर तक फाइबर योजना के तहत 1000 दिनों में देश के 6 लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर अभूतपूर्व स्केल पर काम हो रहा है ....
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि 2014 से पहले की तुलना में आज हर रोज़ दोगुनी से भी तेज़ गति से हाइवे बनाए जा रहे हैं। हाइवे निर्माण पर होने वाले खर्च में भी 2014 से पहले की तुलना में लगभग 5 गुणा बढ़ोतरी की गई है। आने वाले 4 - 5 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 110 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से भी 19 लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स सिर्फ हाइवे से जुड़े हैं।
बिहार की कनेक्टिविटी में सबसे बड़ी बाधा बड़ी नदियों के चलते रही है ....
पीएम पैकेज के तहत गंगाजी के ऊपर कुल 17 पुल बनाए जा रहे हैं जिसमें से अधिकतर पूरे हो चुके हैं। इसी तरह गंडक और कोसी नदियों पर भी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज 4 लेन के 3 नए पुलों का शिलान्यास हुआ है। इसमें से दो पुल गंगा जी पर और एक पुल कोसी नदी पर बनने वाला है। बढ़ती आबादी और भविष्य की ज़रूरतों को देखते हुए, अब महात्मा गांधी सेतु के समानांतर चार लेन का एक नया पुल बनाया जा रहा है। गंगा नदी पर ही विक्रमशिला सेतु के समानांतर बनने वाले नए पुल और कोसी नदी पर बनने वाले पुल से बिहार की कनेक्टिविटी और सुधरेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 21 सितम्बर 2020 को नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर द्वारा इंटरनेट की सुविधा का शुभारम्भ तथा 14260 करोड़ की लागत से 350 किलोमीटर लम्बी 9 राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करते हुए। (फोटो : पी आई बी)
नई दिल्ली (पी आई बी)। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार 21 सितम्बर 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 14,260 करोड़ रूपये की लागत से 350 कि0मी0 लम्बी 9 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने आज हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर द्वारा इंटरनेट सुविधा का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल फागू चौहान के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर द्वारा इंटरनेट सुविधा की शुरुआत होने से मार्च 2021 तक बिहार के सभी 45,945 गांवों को इंटरनेट सुविधा मिलेगी। 'भारत नेट' ऑप्टिकल फाइबर से हर गांव को जोड़ा जाएगा। 14,260 करोड़ रुपये की लागत से 350 किलोमीटर लंबी 9 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के शिलान्यास के अंतर्गत फोरलेन बख्तियारपुर -रजौली सड़क (पैकेज-2), फोरलेन बख्तियारपुर-रजौली सड़क (पैकेज -3), फोरलेन आरा-परारिया सड़क फोरलेन परारिया–मोहनिया सड़क, फोरलेन नरेनपुर-पूर्णिया सड़क, 6-लेन रामनगर-कन्हौली (पटना रिंग रोड ) सड़क, महात्मा गांधी सेतु के समानांतर नए फोरलेन पुल का निर्माण, कोसी नदी पर नए फोरलेन पुल का निर्माण एवं गंगा नदी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर नए फोरलेन पुल का निर्माण की योजनाएं शामिल हैं। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के लिए विभिन्न योजनाओं के शुभारंभ एवं शिलान्यास के लिए मैं प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं। प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन का मूल पाठ - बिहार के गवर्नर फागू चौहान जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी रविशंकर प्रसाद जी, वी के सिंह जी, आर के सिंह जी, बिहार के डिप्टी सीएम भाई सुशील जी, अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायकगण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आज बिहार की विकास यात्रा का एक और अहम दिन है। अब से कुछ देर पहले बिहार में कनेक्टिविटी को बढ़ाने वाली 9 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है। इन परियोजनाओं में हाइवे को 4 लेन और 6 लेन का बनाने और नदियों पर 3 बड़े पुलों के निर्माण का काम शामिल है। इन परियोजनाओं के लिए बिहार के लोगों को बहुत - बहुत बधाई देता हूं। साथियों, आज का दिन बिहार के लिए तो अहम है ही, ये पूरे देश के लिए भी बहुत बड़ा दिन है। युवा भारत के लिए भी बहुत बड़ा दिन है। आज भारत, अपने गांवों को आत्मनिर्भर भारत का मुख्य आधार बनाने के लिए भी एक बड़ा कदम उठा रहा है। और खुशी ये है कि कार्यक्रम पूरे देश में है लेकिन इसकी शुरुआत आज बिहार से ही हो रही है। इस योजना के तहत 1000 दिनों में देश के 6 लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा। मुझे विश्वास है कि नीतीश जी के सुशासन में, दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते बिहार में इस योजना पर भी तेजी से काम होगा। साथियों, भारत के गांवों में इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या कभी शहरी लोगों से ज्यादा हो जाएगी, ये कुछ साल पहले तक सोचना भी मुश्किल था। गांव की महिलाएं, किसान और गांव के युवा भी इतनी आसानी से इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे, इस पर भी बहुत लोग सवाल उठाते थे। लेकिन अब ये सारी स्थितियां बदल चुकी हैं। आज भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वाले दुनिया के सबसे अग्रणी देशों की कतार में है। अगस्त के ही आंकड़ों को देखें तो इस दौरान लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का लेन - देन यूपीआई के माध्यम से हुआ है मोबाइल फोन के माध्यम से हुआ है। कोरोना के इस समय में डिजिटल भारत अभियान ने देश के सामान्य जन की बहुत मदद की है। साथियों, इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ - साथ अब ये भी जरूरी है कि देश के गांवों में अच्छी क्वालिटी, तेज रफ्तार वाला इंटरनेट भी हो। सरकार के प्रयासों की वजह से देश की करीब डेढ़ लाख पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहले ही पहुंच चुका है। यही नहीं बीते 6 साल में देशभर में 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर भी ऑनलाइन जोड़े गए हैं। अब यही कनेक्टिविटी देश के हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य साथ देश आगे बढ़ रहा है। जब गांव - गांव में तेज़ इंटरनेट पहुंचेगा तो गांव में पढ़ाई आसान होगी। गांव के बच्चे, हमारे ग्रामीण युवा भी एक क्लिक पर दुनिया की किताबों तक, तकनीक तक आसानी से पहुंच पाएंगे। यही नहीं, टेली मेडिसिन के माध्यम से अब दूर - सुदूर के गांवों में भी सस्ता और प्रभावी इलाज गरीब को घर बैठे ही दिलाना संभव हो पाएगा। आपको मालूम है, पहले अगर रेलवे में आरक्षण करना होता था तो गांव से शहर जाना पड़ता था, कतार में खड़ा रहना होता था और रेलवे की आरक्षण के लिए हमें जाना पड़ता था। आज कॉमन सर्विस में जाकर अपने ही गांव में आप रेलवे का रिजर्वेशन करा सकते हैं। कहीं और जाना है तो उसका रिजर्वेशन आसानी से करा सकते हैं, क्योंकि इंटरनेट की सुविधा है। हमारे किसानों को तो इससे बहुत अधिक लाभ होगा। इससे किसानों को खेती से जुड़ी हर आधुनिक तकनीक, नई फसलों, नए बीजों, नए तौर - तरीकों और बदलते मौसम की जानकारी रियल टाइम में मिलनी संभव हो पाएगी। यही नहीं, अपनी उपज के व्यापार - कारोबार को पूरे देश और दुनिया में पहुंचाने में भी उनको ज्यादा सुविधा होगी। एक प्रकार से गांव को अब शहरों की ही तरह हर सुविधा घर बैठे मिले, इसके लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। साथियों, इतिहास साक्षी है कि दुनियाभर में उसी देश ने सबसे तेज़ तरक्की की है, जिसने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर गंभीरता से निवेश किया है। लेकिन भारत में दशकों तक ऐसा रहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े और व्यापक बदलाव लाने वाले प्रोजेक्ट्स पर उतना ध्यान नहीं दिया गया। बिहार तो इसका बहुत बड़ा भुक्तभोगी रहा है। साथियों, ये अटल जी की सरकार थी सबसे पहले जिसने इंफ्रास्ट्रक्चर को राजनीति का, विकास की योजनाओं का प्रमुख आधार बनाया था। नीतीश जी तो तब उनकी ही सरकार में रेल मंत्री थे। उन्हें इसका और ज्यादा अनुभव है, उन्होंने गवर्नेंस में उस बदलाव को और करीब से देखा है। साथियों, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर अब जिस स्केल पर काम हो रहा है, जिस स्पीड पर काम हो रहा है, वो अभूतपूर्व है। 2014 से पहले की तुलना में आज हर रोज़ दोगुनी से भी तेज़ गति से हाइवे बनाए जा रहे हैं। हाइवे निर्माण पर होने वाले खर्च में भी 2014 से पहले की तुलना में लगभग 5 गुणा बढ़ोतरी की गई है। आने वाले 4 - 5 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 110 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से भी 19 लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स सिर्फ हाइवे से जुड़े हैं। साथियों, रोड और कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने के इन प्रयासों का बिहार को भी भरपूर लाभ हो रहा है, पूर्वी भारत पर मेरा विशेष ध्यान है। 2015 में घोषित पीएम पैकेज के तहत 3 हज़ार किलोमीटर से अधिक के नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट्स की घोषणा की गई थी। इसके अलावा, भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भी लगभग 650 किलोमीटर नेशनल हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। आज बिहार में नेशनल हाइवे ग्रिड को गति दी जा रही है। पूर्वी और पश्चिमी बिहार को जोड़ने के लिए फोर लेनिंग के 5 प्रोजेक्ट्स, उत्तरी भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए 6 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। आज भी जिन हाइवे चौड़ीकरण के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया गया है, उनसे, बिहार के तमाम बड़े शहरों का सड़क - संपर्क और मज़बूत होगा। साथियों, बिहार की कनेक्टिविटी में सबसे बड़ी बाधा बड़ी नदियों के चलते रही है। यही कारण है कि जब पीएम पैकेज की घोषणा हो रही थी तो पुलों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया था। पीएम पैकेज के तहत गंगाजी के ऊपर कुल 17 पुल बनाए जा रहे हैं, और अभी सुशील जी ने बड़े विस्तार से उसका बड़ा खाका आपके सामने रखा और जिसमें से अधिकतर पूरे हो चुके हैं। इसी तरह गंडक और कोसी नदियों पर भी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज 4 लेन के 3 नए पुलों का शिलान्यास हुआ है। इसमें से दो पुल गंगा जी पर और एक पुल कोसी नदी पर बनने वाला है। इनके बनने पर गंगा जी और कोसी नदी पर फोर लेन के पुलों की क्षमता और बढ़ जाएगी। साथियों, बिहार की लाइफलाइन के रूप में मशहूर महात्मा गांधी सेतु, उसके हाल भी हमने देखे हैं, दुर्दशा भी देखी है, मुसीबत भी देखी है, आज नए रंगरूप में सेवाएं दे रहा है। लेकिन बढ़ती आबादी और भविष्य की ज़रूरतों को देखते हुए, अब महात्मा गांधी सेतु के समानांतर चार लेन का एक नया पुल बनाया जा रहा है। नए पुल के साथ 8 - लेन का 'पहुंच पथ' भी होगा। इसी तरह गंगा नदी पर ही विक्रमशिला सेतु के समानांतर बनने वाले नए पुल और कोसी नदी पर बनने वाले पुल से बिहार की कनेक्टिविटी और सुधरेगी। साथियों, कनेक्टिविटी एक ऐसा विषय है, जिसे टुकड़ों में सोचने के बजाय, संपूर्णता में सोचना होता है। एक पुल यहां बन गया, एक सड़क वहां बन गई, एक रेल रूट उधर बना दिया, एक रेलवे स्टेशन इधर बना दिया, इस तरह की अप्रोच ने देश का बहुत नुकसान किया है। पहले सड़कों का, हाईवे का रेल नेटवर्क से कोई वास्ता नहीं रहता था, रेल का पोर्ट से और पोर्ट का एयरपोर्ट से भी कम ही नाता रहता था। 21वीं सदी का भारत, 21वीं सदी का बिहार, अब इन सारी पुरानी कमियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। आज देश में मल्टी मोडल कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है। अब हाईवे इस तरह बन रहे हैं कि वो रेल रूट को, एयर रूट को सपोर्ट करें। रेल रूट इस तरह बन रहे हैं कि वो पोर्ट से इंटर - कनेक्टेड हों। यानि सोच ये है कि यातायात का एक साधन, दूसरे साधन को सपोर्ट करे। इससे लोजिस्टिक्स को लेकर भारत में जो समस्याएं रही हैं, वो भी बहुत हद तक दूर हो जाएंगी। साथियों, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से सबसे ज्यादा लाभ समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग को होता है, गरीब को होता है। इससे हमारे किसानों को भी बहुत अधिक लाभ होता है। किसानों को अच्छी सड़कें मिलने से, नदियों पर पुल बनने से खेत और शहरों के मार्केट की दूरी कम हो जाती है। साथियों, 21वीं सदी के भारत का ये दायित्व है कि वो देश के किसानों के लिए आधुनिक सोच के साथ, नई व्यवस्थाओं का निर्माण करे। देश के किसान को, देश की खेती को, आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे। और इसमें निश्चित तौर पर कनेक्टिविटी की बड़ी भूमिका तो है ही। अंत में, एक बार फिर कनेक्टिविटी के तमाम प्रोजेक्ट्स के लिए बिहार को, देश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मैं फिर एक बार वही आग्रह करूंगा कि हमें कोरोना से लड़ाई लड़ते रहना है। हमें कोरोना को पराजित करके रहना है। हमें हमारे परिवार के सदस्य को कोरोना से बचाना है और इसके लिए जो भी नियम तय किए गए हैं, उनका हम सबने पालन करना है। कोई एक उसमें छूट जाता है तो फिर मामला गड़बड़ हो जाता है, हम सबने पालन करना है। मैं फिर एक बार मेरे बिहार के प्यारे भाइयो-बहनो को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।