कोविड-19 के खिलाफ राज्य सरकार के अभियान के अन्तर्गत नई व्यवस्था

राजकीय मेडिकल काॅलेज कानपुर में केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का शुभारम्भ


कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जीवनदायिनी बन सकती है प्लाज्मा एफेरेसिस विधि


लोगों को उच्च स्तरीय चिकित्सीय सुविधाएं सभी जनपदों में उपलब्ध करायी जा रही : मुख्यमंत्री


> मुख्यमंत्री ने राजकीय एवं निजी मेडिकल काॅलेजों में नवस्थापित बीएसएल लैब तथा कोविड-19 व डेंगू के उपचार के लिए एफेरेसिस व केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का लोकार्पण व शुभारम्भ वर्चुअल माध्यम से किया।


> राजकीय मेडिकल काॅलेज कन्नौज में बीएसएल-3 लैब तथा 07 निजी मेडिकल काॅलेजों में बीएसएल-2 लैब का शुभारम्भ।


> मेडिकल काॅलेज प्रयागराज में एफेरेसिस फैसिलिटी, आगरा व कानपुर के मेडिकल काॅलेज में केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी, गोरखपुर तथा फिरोजाबाद मेडिकल काॅलेज में एफेरेसिस फैसिलिटी एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी तथा 01 निजी चिकित्सा संस्थान में एफेरेसिस फैसिलिटी का लोकार्पण।


> 23 मार्च, 2020 को प्रदेश की कोविड-19 टेस्टिंग क्षमता मात्र 72 थी जो आज बढ़कर प्रतिदिन 01 लाख 75 हजार टेस्ट तक पहुंच गयी : मुख्यमंत्री


> अब तक प्रदेश में 01 करोड़ 80 लाख लोगों के कोरोना टेस्ट किये जा चुके : मुख्यमंत्री


> कोरोना मरीजों के लिए बेहतर सुविधा देने के दृष्टिगत 1.75 लाख से अधिक कोविड बेड स्थापित किये गये : मुख्यमंत्री



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी 23 नवंबर 2020 को अपने सरकारी आवास पर कोविड-19 की जांच के लिए राजकीय एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में नवस्थापित बीएसएल लैब तथा कोविड-19 व डेंगू के उपचार के लिए एफेरेसिस केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का लोकार्पण व शुभारम्भ करते हुए।  (फोटो : मुख्यमंत्री सूचना परिसर)


दैनिक कानपुर उजाला


लखनऊ।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार 23 नवंबर को अपने सरकारी आवास पर कोविड-19 की जांच के लिए राजकीय एवं निजी मेडिकल काॅलेजों में नवस्थापित बीएसएल लैब तथा कोविड-19 व डेंगू के उपचार के लिए एफेरेसिस व केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का लोकार्पण तथा शुभारम्भ वर्चुअल माध्यम से किया। 07 निजी मेडिकल काॅलेजों - हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बाराबंकी, इण्टीग्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ, रामा मेडिकल काॅलेज एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट हापुड़, एफएच मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल फिरोजाबाद, टी एस मिश्रा मेडिकल काॅलेज लखनऊ, हैरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज वाराणसी, मुजफ्फरनगर मेडिकल काॅलेज मुजफ्फरनगर में बीएसएल-2 लैब एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी तथा मेयो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बाराबंकी में एफेरेसिस फैसिलिटी का शुभारम्भ किया गया। राजकीय मेडिकल काॅलेज कन्नौज में बीएसएल-3 लैब, राजकीय मेडिकल काॅलेज प्रयागराज में एफेरिसिस फैसिलिटी, राजकीय मेडिकल काॅलेज आगरा व कानपुर में केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी, राजकीय मेडिकल काॅलेज गोरखपुर में एफेरेसिस फैसिलिटी एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी, स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय फिरोजाबाद में एफेरेसिस फैसिलिटी एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का लोकार्पण किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार आमजन को बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं देने के लिए संकल्पित है। इसके दृष्टिगत, लोगों को उच्चस्तरीय चिकित्सीय सुविधाएं सभी जनपदों में उपलब्ध करायी जा रही हैं। वर्तमान केन्द्र व राज्य सरकार चुनौती को अवसर में बदलने का कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 08 महीने से पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही है। प्रदेश सरकार ने बेहतर अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित करते हुए एक कारगर रणनीति बनाई, जिससे बेहतर कोविड मैनेजमेंट की व्यवस्था हो पायी। प्रधानमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार ने बेहतर अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर कोविड-19 की चुनौती का सामना करने के लिए कारगर रणनीति बनाई, जिसकी सराहना अन्तर्राष्ट्रीय संस्था डब्ल्यूएचओ ने की। उन्होंने कहा कि 23 मार्च, 2020 को प्रदेश की कोविड-19 टेस्टिंग क्षमता मात्र 72 थी जो आज बढ़कर प्रतिदिन 01 लाख 75 हजार टेस्ट तक पहुंच गयी है। अब तक प्रदेश में 01 करोड़ 80 लाख लोगों के कोरोना टेस्ट किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों के लिए बेहतर सुविधा देने के दृष्टिगत 1.75 लाख से अधिक कोविड बेड स्थापित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ अभियान के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा आज यह नई व्यवस्था प्रारम्भ की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 के प्रसार को रोकने में काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग व सर्विलान्स सिस्टम एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल खण्ड में भी प्रदेश सरकार ने विकास की गति को सतत बनाये रखा है। पहले काफी लोग इन्सेफेलाइटिस से काल कवलित हो जाया करते थे। वर्तमान राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ स्वच्छता व शुद्ध पेयजल के लिए किये गये कार्याें से इन आकड़ों में चमत्कारी परिवर्तन देखने को मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक सतर्कता और बचाव ही इसका उपचार है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर पूरे विश्व में शोध कार्य चल रहा है। देश में हो रहे शोधों से सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। प्लाज्मा थेरेपी के सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। इसलिए इसे प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। इससे पूर्व, कोरोना प्लाज्मा दान पर केन्द्रित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में कोरोना को रोकने की एक कारगर कार्ययोजना तैयार की गयी, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री जी और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी की है। चिकित्सा के क्षेत्र में आज का दिन एक मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई एवं सूचना नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डाॅ रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री आलोक कुमार, सचिव चिकित्सा शिक्षा अमित गुप्ता, सूचना निदेशक शिशिर सहित चिकित्सा जगत से जुड़े अन्य वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित थे। ज्ञातव्य है कि प्रदेश में सरकारी क्षेत्र की 258 लैब तथा निजी क्षेत्र की 132 लैब के साथ कुल 390 लैब उपलब्ध हैं। इलाज के अभाव की स्थिति में कंवलेसेन्ट प्लाज्मा को एक आशा की किरण के रूप में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में प्रयोग किया जा रहा है। प्रदेश में उपचार की इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए एफेरेसिस सुविधा का उद्घाटन किया गया है। एफेरेसिस प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है, जिसमें कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के शरीर से प्लाज्मा एफेरेसिस विधि द्वारा एण्टीबाॅडी निकालकर गम्भीर कोरोना मरीजों को चढ़ाई जाती है। प्लाज्मा एफेरेसिस की प्रक्रिया केवल एफेरेसिस मशीन द्वारा ही सम्भव है। इस मशीन द्वारा कोरोना संक्रमण से ठीक हुए प्लाज्मा दाताओं की एण्टीबाॅडी सुरक्षित रूप से निकालकर कोरोना संक्रमित मरीजों हेतु दी जाती है। यह कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जीवनदायिनी बन सकती है। इसके साथ - साथ एफेरेसिस मशीन द्वारा प्लेटलेट्स एफेरेसिस भी किया जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा डेंगू के गम्भीर मरीजों हेतु आवश्यक प्लेटलेट्स उचित मात्रा में एवं सुरक्षित रूप से निकाली जाती है, जिससे कि मरीजों की जान बचायी जा सके। इसे सिंगल डोनर प्लेटलेट्स भी कहते हैं, जो कि एफेरेसिस मशीन द्वारा ही सम्भव है। 


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