आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी

विश्व जनसंख्या दिवस व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा के अवसर पर "जनसंख्या नीति उत्तर प्रदेश 2021 - 30" का विमोचन

विश्व को वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लक्ष्य की दिशा में सबसे बड़ी आबादी के प्रदेश उ. प्र. को करना होगा प्रभावी प्रयास : मुख्यमंत्री
प्रदेश में नयी 11 आर.टी. पी.सी.आर. लैब का शुभारम्भ, 24 घण्टे के अन्दर प्राप्त हो सकेंगे कोरोना जांच के परिणाम
"उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य केन्द्र" ऐप  का शुभारम्भ, प्रदेश में स्थापित प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का मिलेगा रियल टाइम स्टेटस



देश में टी.एफ.आर., एम.एम.आर. एवं आई.एम.आर. के आंकड़ों को देखते हुए इस दिशा में और भी प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता -

- टोटल फर्टिलिटी रेट - वर्तमान में यह घटकर राज्य में 2.7 तथा राष्ट्रीय स्तर पर 2.3 हो गया है पहले वर्ष 2016 में राज्य में टी.एफ.आर. 3.3 तथा राष्ट्रीय स्तर पर 2.6 था।

- मैटरनल मॉर्टेलिटी रेट - वर्तमान में यह कम होकर राज्य में 197 तथा राष्ट्रीय स्तर पर 113 हो गया है।

- इन्फैण्ट मॉर्टेलिटी रेट - वर्तमान में घटकर राज्य स्तर पर 43 एवं राष्ट्रीय स्तर पर 33 हो गया है।

उ. प्र. जनसंख्या नीति - 2021 के विशिष्ट उद्देश्य :-

- जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त किया जाना
- निवारण योग्य मातृ मृत्यु और बीमारियों की समाप्ति
- वृद्धों की देखभाल और कल्याण में सुधार
- नवजात और पाँच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की निवारण योग्य मृत्यु को समाप्त करना
- नवजात और पाँच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार करना
- किशोर - किशोरियों के लिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित सूचनाओं और सेवाओं में सुधार

उ. प्र. जनसंख्या नीति 2021-21 की मुख्य विशेषताएं -

- मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन (एम.सी.पी.) कार्ड का डिजिटलीकरण और संपूर्ण टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जन्म से लेकर 5 साल तक के हर बच्चे की निगरानी और ट्रैक करने के लिए एक आई.टी. आधारित ट्रैकिंग सिस्टम स्थापित करना

- सभी जिलों में दुर्गम सामाजिक समूहों और भौगोलिक क्षेत्रों में फैमिली प्लानिंग की उच्च अपूर्ण आवश्यकता को कम करना

- नवविवाहितों, युवा और निम्न समता वाले जोड़ों द्वारा स्पेसिंग तरीकों को बढ़ावा देना

- प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल का एक अभिन्न अंग है फैमिली प्लानिंग परामर्श, इसे अभिन्न बनाया जाएगा

- खुशहाल परिवार दिवस जैसे आपूर्ति पक्ष हस्तक्षेपों के माध्यम से फैमिली प्लानिंग सेवा कवरेज को तेज करना


जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा के शुभारम्भ अवसर पर मुख्यमंत्री जी के सम्बोधन के अंश -

> सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के सम्बन्ध में जनसमुदाय में जागरुकता की भी महत्वपूर्ण भूमिका : मुख्यमंत्री

> विगत 04 वर्षां में राज्य में टी.एफ.आर., एम.एम.आर. एवं आई.एम.आर. को कम करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास हुए : मुख्यमंत्री

> 02 बच्चों के मध्य अन्तराल न होने पर उनके पोषण पर पड़ता है प्रभाव, बढ़ जाता है एम.एम.आर. एवं आई.एम.आर. : मुख्यमंत्री

> जनसंख्या के सही अनुपात में रहने से ही मिल पाता है डेमोग्राफिक डेविडेण्ड का लाभ : ए.सी.एस. अमित मोहन प्रसाद 

नयी 11 आर.टी. पी.सी.आर. लैब के शुभारम्भ अवसर पर मुख्यमंत्री जी के सम्बोधन के अंश -

> सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर हेल्थ ए.टी.एम. की स्थापना के प्रयास किये जाएं : मुख्यमंत्री

> राज्य में स्थापित की जा रहीं बी.एस.एल. - 3 प्रयोगशालाएं शीघ्र क्रियाशील हो जाएंगी : मुख्यमंत्री

> स्वास्थ्य विभाग द्वारा "शगुन किट" का अभियान जन जन तक पहुंचाया जाए : योगी

> मुख्यमंत्री जी ने शेष जनपदों में भी इन प्रयोगशालाओं की स्थापना का निर्णय लिया : ए.सी.एस. अमित मोहन प्रसाद    
दैनिक कानपुर उजाला
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि जनसंख्या नीति का सम्बन्ध प्रत्येक नागरिक के जीवन में खुशहाली एवं समृद्धि लाने से है। जनसंख्या स्थिरीकरण का प्रयास समाज में इसके प्रति जागरुकता से जुड़ा हुआ है। समाज के विभिन्न तबकों में गरीबी का भी जनसंख्या वृद्धि से सम्बन्ध है। इसलिए जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए विभिन्न वर्गां को ध्यान में रखते हुए व्यापक जागरुकता अभियान संचालित करना होगा। मुख्यमंत्री योगी 11 जुलाई, 2021 को अपने सरकारी आवास पर विश्व जनसंख्या दिवस व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा (11 जुलाई से 24 जुलाई 2021) के अवसर पर "जनसंख्या नीति उत्तर प्रदेश 2021-30" के विमोचन के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश के 11 जनपदों में स्थापित बी.एस.एल. - 2 आर.टी. पी.सी.आर. प्रयोगशालाओं एवं "उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य केन्द्र" ऐप का शुभारम्भ भी किया। उन्होंने 02 नव दम्पतियों को परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु "शगुन किट" भी प्रदान की। कार्यक्रम के दौरान प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर केन्द्रित एक फिल्म भी प्रदर्शित की गयी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में बढ़ती जनसंख्या को विकास में बाधक होने पर निरन्तर चर्चा हो रही है। जहां भी जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए समन्वित प्रयास हुए हैं, वहां सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021 - 30 जारी की गयी है। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न वर्गां को ध्यान में रखते हुए इसे लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व को वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का लक्ष्य दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा देश में इन सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी आबादी के प्रदेश द्वारा भी इस दिशा में आवश्यक रूप से प्रयास करना होगा। वर्ष 2019 में गांधी जयंती के अवसर पर राज्य विधान मण्डल द्वारा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रिकॉर्ड 36 घण्टे तक लगातार चर्चा की गयी। चर्चा के उपरान्त सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय हेतु समितियां गठित की गयीं। इस सम्बन्ध में प्रगति की मंत्रिमण्डल के एक समूह द्वारा समीक्षा की जाती है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में इसके सम्बन्ध में जन समुदाय में जागरुकता के भी महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 04 वर्षां में राज्य में टोटल फर्टिलिटी रेट (टी.एफ.आर.), मैटरनल मॉर्टेलिटी रेशियो (एम.एम.आर.) एवं इन्फेंट मॉर्टेलिटी रेट (आई.एम.आर.) को कम करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास हुए हैं। इन प्रयासों में पर्याप्त सफलता भी प्राप्त हुई है। किन्तु देश में टी.एफ.आर., एम.एम.आर. एवं आई.एम.आर. के आंकड़ों को देखते हुए इस दिशा में और भी प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में राज्य में टी.एफ.आर. 3.3 तथा राष्ट्रीय स्तर पर 2.6 था। वर्तमान में यह घटकर राज्य में 2.7 तथा राष्ट्रीय स्तर पर 2.3 हो गया है। इसी प्रकार वर्ष 2016 में प्रदेश में एम.एम.आर. 258 तथा राष्ट्रीय स्तर पर 178 था। वर्तमान में यह कम होकर राज्य में 197 तथा राष्ट्रीय स्तर पर 113 हो गया है। आई.एम.आर. में भी कमी आयी है। वर्ष 2016 में राज्य में यह 53 एवं राष्ट्रीय स्तर पर 42 था, जो वर्तमान में घटकर क्रमशः 43 एवं 33 हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 02 बच्चों के मध्य अन्तराल न होने पर उनके पोषण पर प्रभाव पड़ेगा। इससे मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर के लक्ष्य प्राप्त करने में कठिनाई होगी। विगत वर्षां में इनसे सम्बन्धित लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों में अच्छी सफलता मिली है, किन्तु इन प्रयासों को अभी और प्रभावी बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या स्थिरता की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के साथ ही यह भी ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है कि इसका देश की जन सांख्यकी पर विपरीत प्रभाव न पड़े। मुख्यमंत्री ने 11 जनपदों - मऊ, देवरिया, सिद्धार्थ नगर, सोनभद्र, अमेठी, कासगंज, बुलन्दशहर, महोबा, बिजनौर, कुशीनगर एवं औरैया में बी.एस.एल. - 2 आर.टी. पी.सी.आर. प्रयोगशालाओं के शुभारम्भ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में विगत 16 महीनों में राज्य में कोरोना टेस्टिंग क्षमता में व्यापक वृद्धि हुई है। प्रदेश में जब कोरोना संक्रमण का पहला मामला प्रकाश में आया था, तब यहां कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। वर्तमान में प्रतिदिन 04 लाख कोरोना टेस्ट की क्षमता उपलब्ध है। नयी आर.टी. पी.सी.आर. लैब के शुभारम्भ से सम्बन्धित जनपदों में 24 घण्टे के अन्दर कोरोना जांच के परिणाम प्राप्त हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इन प्रयोगशालाओं के शुभारम्भ से प्रदेश के 44 जनपदों में बी.एस.एल. - 2 आर.टी. पी.सी.आर. लैब की सुविधा उपलब्ध हो गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में तकनीक का अत्यधिक महत्व है। तकनीक के माध्यम से ही शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ शत - प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचना संभव हुआ है। उन्होंने "उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य केन्द्र" ऐप के शुभारम्भ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे प्रदेश में स्थापित प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के उन्नयन में सहायता मिलेगी। ऐप के माध्यम से स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति वहां पर उपलब्ध चिकित्सकों, बेड तथा अन्य सुविधाओं के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर हेल्थ ए.टी.एम. की स्थापना के प्रयास किये जाएं। इन हेल्थ ए.टी.एम. की स्थापना के लिए जनप्रतिनिधियों, सी.एस.आर. आदि से सहयोग लिया जाए। उन्होंने कहा कि हेल्थ ए.टी.एम. के माध्यम से प्रदेश के दूरदराज के स्वास्थ्य केन्द्रों पर आसानी से विभिन्न जांच की सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी। साथ ही, टेली-कंसल्टेशन की सुविधा के माध्यम से दूरदराज के रोगियों को भी विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श की सुविधा भी आसानी से प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा "शगुन किट" का अभियान जन जन तक पहुंचाया जाए। यह युवाओं को परिवार नियोजन के प्रति जागरुक करने में सहायक होगा। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि "मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में निरन्तर वृद्धि हो रही है। आज 11 बी.एस.एल. - 2 आर.टी. पी.सी.आर. लैब के शुभारम्भ से 44 जनपदों में यह सुविधा उपलब्ध हो गयी है। 22 जनपदों में मेडिकल कॉलेजों में आर.टी. पी.सी.आर. लैब्स स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित की जा रहीं बी.एस.एल. - 3 प्रयोगशालाएं शीघ्र क्रियाशील हो जाएंगी। मुख्यमंत्री जी द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस पर प्रदेश की जनसंख्या नीति लॉन्च किये जाने की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह जन विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।" कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि "मुख्यमंत्री जी द्वारा आज जनसंख्या नीति उत्तर प्रदेश 2021 - 30 का अनावरण किया जा रहा है। जनसंख्या वृद्धि के सम्बन्ध में पूरे विश्व में वर्षां से चर्चा हो रही है। वर्ष 1987 में विश्व जनसंख्या दिवस मनाये जाने की घोषणा हुई। अत्यधिक जनसंख्या का शहरीकरण, पर्यावरण तथा संसाधनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।" स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि "11 जुलाई से 24 जुलाई, 2021 तक "आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी" थीम पर जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनसंख्या नीति के सफल क्रियान्वयन से वर्ष 2052 तक जनसंख्या स्थिरीकरण सम्भव होगा। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा मातृ मृत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पोषण एवं काउंसिलिंग के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। इनकी जनसंख्या नियंत्रण में अहम भूमिका है। कार्यक्रम के अन्त में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग ने अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि "मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में तैयार की गयी उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति अत्यन्त समावेशी है। इस नीति का उद्देश्य "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" है। जनसंख्या का स्थिरीकरण एक वांछित उद्देश्य है। जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि से डेमोग्राफिक डिविडेंड बेमानी हो जाता है। जनसंख्या के सही अनुपात में रहने से ही डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ मिल पाता है। 11 जनपदों में आर.टी. पी.सी.आर. लैब के शुभारम्भ से प्रदेश के 44 जनपदों में यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। जनपद सीतापुर में बी.एस.एल. - 2 आर.टी. पी.सी.आर. लैब निर्माणाधीन है। मुख्यमंत्री जी ने शेष जनपदों में भी इन प्रयोगशालाओं की स्थापना का निर्णय लिया है। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि "उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्र" ऐप प्रदेश की तकनीकी सहायता इकाई के माध्यम से बनाया गया है। इससे प्रदेश के मंडलीय चिकित्सालयों से लेकर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के सम्बन्ध में चिकित्सकों की उपलब्धता, दवा की उपलब्धता, चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता सहित पूरी जानकारी प्राप्त हो सकेगी। यह ऐप प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं के नियोजन में सहायक होगा। शीघ्र ही इस ऐप को आम जनता के लिए भी खोला जाएगा। इससे लोगों को स्वास्थ्य केन्द्रों की लोकेशन एवं पहुंच मार्ग की जानकारी भी मिलेगी। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम.एस.एम.ई. नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद, सूचना निदेशक शिशिर, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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